न्यूजमध्य प्रदेश

भाजपा सरकार के ‘पोषण अभियान’ की पोल खुली — बच्चों को थाली नहीं, रद्दी कागज पर परोसा गया खाना!

श्योपुर। “बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ” और “पोषण अभियान” जैसे नारों के बीच भाजपा सरकार के वादों की पोल उस समय खुल गई जब श्योपुर जिले के विजयपुर क्षेत्र की हुल्लपुर माध्यमिक शाला में बच्चों को रद्दी कागज पर भोजन परोसा गया। सरकार की मिड-डे मील योजना का उद्देश्य है बच्चों को पौष्टिक व स्वच्छ भोजन देना, लेकिन जमीनी सच्चाई इसके बिल्कुल उलट नजर आई। न बच्चों को सम्मान मिला, न भोजन में स्वच्छता की झलक — सिर्फ सरकारी लापरवाही और सिस्टम की उदासीनता दिखाई दी।

बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ” और “पोषण अभियान” के सरकारी दावों के बीच श्योपुर जिले से आई एक तस्वीर ने भाजपा सरकार के सुशासन और संवेदनशीलता की पोल खोल दी है। विजयपुर के हुल्लपुर माध्यमिक विद्यालय में बच्चों को भोजन परोसने के लिए थाली नहीं, रद्दी कागजों का इस्तेमाल किया गया। सरकार के करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद बच्चों को सम्मानजनक और स्वच्छ भोजन न मिलना पूरे तंत्र की लापरवाही और असंवेदनशीलता को उजागर करता है। यह मामला 4 नवंबर को सामने आने के बाद प्रशासन हरकत में आया। कलेक्टर अर्पित वर्मा के निर्देश पर स्कूल प्रभारी भोगीराम धाकड़ को निलंबित, मिड-डे मील सप्लाई करने वाले स्व-सहायता समूह का टेंडर रद्द, और बीआरसी व सीएसी को नोटिस जारी किए गए हैं। हालांकि, शिक्षा विभाग की यह कार्रवाई अब जनता की नजर में सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नियमित निरीक्षण और निगरानी की कमी के चलते सरकारी स्कूलों में इस तरह की घटनाएं आम होती जा रही हैं। “बर्तन न धोने की सुविधा के लिए कागज पर खाना देना” सरकारी सिस्टम की मानसिकता को दर्शाता है। जिला शिक्षा अधिकारी एम.एल. गर्ग ने भी माना कि यह कृत्य “अमानवीय और अनुशासनहीन” है। वहीं कलेक्टर ने चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में ऐसे मामलों को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि – “क्या हर घटना के बाद सस्पेंशन और टेंडर रद्द करना ही समाधान है?” जनता के बीच अब यह चर्चा है कि भाजपा सरकार के लंबे शासनकाल के बावजूद शिक्षा और पोषण योजनाओं का लाभ बच्चों तक सही रूप में नहीं पहुंच पा रहा। थाली की जगह कागज पर खाना खिलाना, केवल एक स्कूल की कहानी नहीं — यह उस व्यवस्था की तस्वीर है, जो कागजों पर चमकदार और ज़मीन पर रद्दी साबित हो रही है।

 

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